शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

चिडियों का गीत


हिंदी साहित्य में जिस तरह सुमित्रा नंदन पंत अपनी कविता में पराकार्तिक छटा बिखेरते है उसी तरह का रंग यह चीनी कविता अपने में समाहित किये हुये है। विश्व कविता का एक मोती है चीनी कविता।


छन चिंग-रुंग

मई के महीने
कया कहती है चिडिया पहाडों मे
फसले और पौधे
फसले ओर पौधे
कोयल कुकती है ध्यान से
किसानों को समझाती न गँवाऔ वक्त

चारों तरफ है हरा भरा धान
कयों कूके जा रही कोयल
तपती है धूप
तपती और तपती
सफेद बादलों और नीले आसमां तले फाखता
नहीं ले पाता, चैन धरती लाल, हरी घास और
पेड
धुपैले आसमां को ताकते
चिंताओं से घिरा आसमां
गहरी शत में
कोयल और फाखता
और कुछ कुछ चिडियाँ कूकती एकाध बार
बुलाती चँद सितारों को
और फिर एक पूरा चाँद ।

5 टिप्‍पणियां:

Rajeysha ने कहा…

कुछ और बेहतर अनुवाद संभव है।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बढिया कविता है,
आभार

समयचक्र ने कहा…

चीनी रचना हिंदी में बढ़िया लगी ...

Kulwant Happy ने कहा…

अद्भुत!

wandererajay ने कहा…

bahut badhi shubhkaamnaayey