शनिवार, 8 नवंबर 2008

आने वाले कल में

विज्ञानं के क्षेत्र में कई तरह के प्रयोग होते रहे हैं। अमेरिकन विज्ञानिक समुदाय के अनुसार मानव इतिहास की सबसे बडी खोज खनिजो के लिये बनाई गयी पिरियोडिक टेबल है। दुसरी बडी खोज लोहे की खोज है, तीसरी रेडियो की खोज तथा चौथी ग्लास की खोज तथा पाँचवी खोज सतहरवी शताबदी में ओपटीकल माईकरोसकोप को माना गया है। छटी खोज कंकीट की खोज है।
वैझानिकों द्वारा कई तरह की खोजबीन होती रही हैं, अब वे सामान्य कोशिकाओं को इनसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं में परिवर्तित करने की एक नई तकनीक इजाद की है। जिसका नाम है डारेयकट रिपरोगरामिंग। शरीर की प्रमुख कोशिका जिसका नाम सटैम सैल है जो अब तक ओरगन और टिश्यु ट्रांसप्लांट में कोई मदद नहीं करते थे अब वे
शुगर की पुरानी बिमारी में जिसमें कि पैनकरियेटिक कोशिकाऐ शरीर के इमयुन तंत्र द्वारा गलती से नष्ट हो गई थी में मददगार होगीं।
हार्वर्ड मैडिकल वैझानिक मेलटन, जो कि विश्व के बेहतरीन सैटम सैल के जानकार कहते हैं ये जो नई कोशिकाऐ हैं ये किसी चूहे के पूरे जीवन भर स्थायी रहती है। वैझानिकों ने सैटम सैल को यह दिखानें के लिये गिना कि किस तरह टिश्यु और औरगन दुबारा बनाये जा सकते हैं
इनसुलिन पर प्रयोग लगभग एक दशक से चल रहे हैं। १९९६ में डोली नामक भेड भी इसी खोज का ही परिणाम थी