गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010

एजरा पौंड की एक कविता


एक लड़की


पेड ने मेरे हाथ में प्रवेश किया है,
पौधों का रस मेरी बाहों पर चढ आया है,
पेड़ ने मेरे सीने में उगना शुरू कर दिया है
नीचे की,
शाखायें हथियार की तरह
मेरे भीतर से बाहर की ओर बाहर की ओर बढ रही हैं

पेड़ तुम,
काई तुम,
तुम ऊपर की हवा के साथ बैंगनी होती जाती हो
एक बच्चे, जितने ऊँचे तुम हो ,
और यह सब मूर्खता दुनियादारी के लिए जिम्मेदार नहीं है
जो मुझ से बाहर हो रही है
बैंगनी रंग में