युवा माहिलाओं को सशक्तिकरण की सीख लेनी हो तो मुजफ्फ़रपुर के पटियासा जलाल
गाँव की अनीता कुशवाहा से लेने चाहिए. अनीता इस समय मात्र २३ साल की हैं
और वह पूरी तरह आत्मनिर्भर तो हैं ही बल्कि संसार भर की युवतियों के लिए
प्रेरणा की स्त्रोत भी बनी हुई हैं.
लगभग १२ साल पहले अनीता ने मधु मक्खी पालन का कम शुरू किया था. तब घर वालो का विरोध था की यह काम स्त्रियों के बस का नहीं. लेकिन अनीता नहीं मानी और अपनी माँ के सहयोग से ४.००० में दो बक्से खरीद लिए आज अनीता के पास २०० बक्से हैं. पहले ही साल अनीता को मुनाफा मिलने लगा जिसका परिणाम यह हुआ की आज अनीता के गाँव के लगभग हर घर में मधुमक्खी पालन हो रहा है और शहद कारोबारी कंपनियों के एजेंट गाँव आ रहे हैं.
NCERT ने अनीता के इस प्रयास को स्कूल की पाठ्य पुस्तक में शामिल किया है.२००६ में UNICEF ने अनीता के काम को रेखांकित किया था तब ही संसार भर की नजरे अनीता पर टिकी और अनीता रातों रात युवाओं की ख़ास तौर पर ग्रामीण इलाकों के युवाओं की रोल मॉडल बन गयी. अनीता ने उस वक़्त शादी कच्ची उम्र में अपनी शादी के इनकार कर दिया था और आगे पढने का फैसला किया. आज अनीता समाज शास्त्र में एम् ए की पढ़ाई पूरा कर चुकी हैं.
अनीता का उदाहरण साफ़ दिखता है की निचले स्तर स्वयं के प्रयासों से पर अपने गाँव में ही रह कर न केवल खुद की उन्नति की जा सकती है अपितु संसार भर की युवतियों के भीतर भी आत्मनिर्भरता की चिगारी को हवा दी जा सकती है.
लगभग १२ साल पहले अनीता ने मधु मक्खी पालन का कम शुरू किया था. तब घर वालो का विरोध था की यह काम स्त्रियों के बस का नहीं. लेकिन अनीता नहीं मानी और अपनी माँ के सहयोग से ४.००० में दो बक्से खरीद लिए आज अनीता के पास २०० बक्से हैं. पहले ही साल अनीता को मुनाफा मिलने लगा जिसका परिणाम यह हुआ की आज अनीता के गाँव के लगभग हर घर में मधुमक्खी पालन हो रहा है और शहद कारोबारी कंपनियों के एजेंट गाँव आ रहे हैं.
NCERT ने अनीता के इस प्रयास को स्कूल की पाठ्य पुस्तक में शामिल किया है.२००६ में UNICEF ने अनीता के काम को रेखांकित किया था तब ही संसार भर की नजरे अनीता पर टिकी और अनीता रातों रात युवाओं की ख़ास तौर पर ग्रामीण इलाकों के युवाओं की रोल मॉडल बन गयी. अनीता ने उस वक़्त शादी कच्ची उम्र में अपनी शादी के इनकार कर दिया था और आगे पढने का फैसला किया. आज अनीता समाज शास्त्र में एम् ए की पढ़ाई पूरा कर चुकी हैं.
अनीता का उदाहरण साफ़ दिखता है की निचले स्तर स्वयं के प्रयासों से पर अपने गाँव में ही रह कर न केवल खुद की उन्नति की जा सकती है अपितु संसार भर की युवतियों के भीतर भी आत्मनिर्भरता की चिगारी को हवा दी जा सकती है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें