चिकित्सा के नये आयाम
आज के इस वैानिक युग में हर रोज कुछ नया और अदभुत हो रहा है।अभी भी कई गुढ रहस्य है जिन पर से
परदा उठना अभी बाकि है।
अभी हाल ही मैं चिकित्सा के लिये नोबल सैटम सैल टीम को मिला। तीनो वैानकों जिनके नाम कमशः मारियो कपाची, माटिन इवानस और ओलिवर सिमथइस है।
उन्कें इस पयोग का आधार यह था कि होमोलोगस रिकोमबिनेशन और सैटम सैल का इस्तेमाल।
होमोलोगस रिकोमबिनेशन का पयोग इस्तेमाल खराब जीन को ठीक करने के लिये किया जा सकता है।
इस काम में माटिन इवानस ने चुहे की एमबरायोनिक सैटम सैल को शरीर से निकालने में अभूतपूव भुमिका निभाई।
गुरुवार, 25 अक्तूबर 2007
बुधवार, 24 अक्तूबर 2007
पहली कविता, पहला ब्लाग और कादम्बिनी।
मेरी पहली कविता अकटूबर २००१ अंक में छपी थी और अब कादम्बिनी के अकटूबर २००७ अंक में छपे आलेख 'ब्लाग हो तो बात बने' को पढकर हिंदी ब्लाग बनाने की परेणा
आज फिर वही
और तुममें बस इतना-सा ही है कि मैं-मैं हूँ और तुम-तुम हो।माना कि हृदय धडकतें हैंदोनो के एक सी गति से,तिरोहित हो बहता हैअविरल लहुतुममें भी और मुझमें भी।फिर भी तुम-तुम हो और मैं-मैं।चारों अओर घटता रोज का यह हंगामा देखा है मैनें भी, तुमनें भीतुम अनदेखा कर बढ जाते हो आगेमैं रूक जाती हुँ क्योकि मैं,मैं हुँ, तुम- तुम।
आज फिर वही
और तुममें बस इतना-सा ही है कि मैं-मैं हूँ और तुम-तुम हो।माना कि हृदय धडकतें हैंदोनो के एक सी गति से,तिरोहित हो बहता हैअविरल लहुतुममें भी और मुझमें भी।फिर भी तुम-तुम हो और मैं-मैं।चारों अओर घटता रोज का यह हंगामा देखा है मैनें भी, तुमनें भीतुम अनदेखा कर बढ जाते हो आगेमैं रूक जाती हुँ क्योकि मैं,मैं हुँ, तुम- तुम।
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