बात ज्यादा पुरानी नहीं है जब रेडियो केवल संगीत और खबरें सुनने का सस्ता और सरल माध्यम था। रेडियो की लोकप्रियता के उस दौर में रेडियो सिलोन और अमीन सयानी एक दुसरे के पर्याय बन गये थे।
आज से कई साल पहले यह बात असंभव लग सकती थी पर आज के दौर में रेडियो भी समाज सेवा का नया माध्यम बन कर उभर रहा है। संचार के माध्यम इतने सक्षम हो चुके हैं कि हररोज इसके नये आयाम देखने को मिल रहे हैं और यही कारण है अब रेडियो समाज सेवा के काम भी आ रहा है।
यह सब संभव हुआ जब भारत सरकार ने मान्यता प्राप्त सरकारी संस्थाओं को कम्युनिटी स्टेशन स्थापित करने कि अनुमति प्रदान की। भारत में कम्युनिटी रेडियो को अधिकृत करने की योजना की शरुआत १९९० के मध्य में हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने यह घोषणा की कि हवाई तरंग जन संपदा है। कैबिनेट ने १६ नवम्बर २००६ को को स्वयं सेवी संस्थाओं को कम्युनिटी स्टेशन स्थापित करने की स्वीकृति दे दी। हमारे देश में इस समय ३८ कम्युनिटी रेडियो स्टेशन चल रहे हैं। सरकार ने कम्युनिटी स्टेशन स्थापित करने के लिये कुछ दिशा निर्देश दिये हैं जैसे
१ इन स्टेशन पर समसाम्यिक मामलों की जानकारी नहीं दी जा सकती।२ कम्युनिटी रेडियो स्टेशन का दायरा ५से १० कि मी से ज्यादा नहीं होना चाहिये। ३ टावर की ऊँचाई ३० मी से ज्यादा और १० मी से कम नहीं होनी चाहिये।४ स्टेशन को मिलने वाला अनुदान किसी मलटीलेटरल संस्था का होना चाहियेकम्युनिटी रेडियो स्थापित करने में ज्यादा व्यय नहीं आता केवल दो से लेकर ५ लाख में यह लग जाता है।
तमिलनाडु का आना विश्वविध्यालय ऐसा पहला विश्वविध्यालय है जहाँ पहला कम्युनिटी रेडियो स्थापित हुआ। इससे कैम्पस में स्थापित होने से संस्थान में होने वाली हर गतिविधि की जानकारी मिली और सभी का इस तरह के रेडियो के फायदे की तरफ ध्यान गया।
जब कम्युनिटी रेडियो का प्रसारण किसी स्थान विशेष के लिये किया जाता है तो वहाँ की समस्याऐं का निवारण और उनकी संस्कृति, उनका रहन सहन का पता चलता है। स्थानीय जनता में कम्युनिटी रेडियो बेहद लोकप्रिय होते हैं क्योकि वे उस स्थान विशेष के लोगों के सरोकारो से जुडे होते हैं। इसके बरकस व्यवसायिक रेडियो का मुख्य उदेश्य मुनाफा कमाना होता है। सबसे बडी बात यह है कि इससे हमारे समाज के वे हाशिये के लोग लाभांवित होते हैं जो न्युनतम चीजों से अपना जीवन चलाते हैं और उन्हें अपने अधिकारों के बारे में पता नहीं होता इसी कारण वे हमेशा शोषण का शिकार होते रहते है। कम्युनिटी रेडियो लडकियों में शिक्षा का प्रसार, किसानों को फसलों की जानकारी, संस्कृतिक विकास, सेहत के बारे में जानकारी, महिलाओं को स्वरोजगार के बारे में जानकारी मिलती है जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकती हैं, उनहें अपने ऊपर हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज ऊढाने का बल मिलता है। बाजार के भावों की जानकारी के साथ-साथ सामाजिक भेदभाव और अंधविस्वास को दूर करने में बेहद यह रेडियो कारगर सिद्ध हो सकता है। कम्युनिटी रेडियो में सबसे बडी खासयित यह है कि इसमें स्थानीय लोगों को शामिल किया जाता है, उनहें उपकरणों के बारे में जानकारी दी जाती है, प्रसारण का सारा दारोमदार कम्युनिटी के लोग ही करते हैं, जिससे उनके भीतर छुपी प्रतिभा भी उजागर होती है और उनका आत्मबल बढता है।
यहाँ यह बात ध्यान रखने की है कि कम्युनिटी रेडियो में महिलाओं की भुमिका अहम होती है। क्योकि वे अपने आस पास के वातावरण से बखुबी परिचित होती हैं। एक सर्वे के अनुसार क्मयुनिटी रेडियो के सटाफ और अन्य कायों में ४५ प्रतिशित महिलाओं का योगदान होता है।
कम्युनिटी रेडियो में शिक्षा, जानकारी और मनोरंजन तीनों का समावेश होता है। कम्युनिटी रेडियो का नारा है कम्युनिटी के द्वारा कम्युनिटी के लिये।
भारत जैसे विशाल और अविकसित देश में कम्युनिटी रेडियो का सही और व्यापक इस्तेमाल सामाजिक क्रांति ला सकता है। दुनिया भर में कम्युनिटी रेडियो का विस्तार हो रहा है, इसे लेटिन अमेरिका में पोपयुलर रेडियो, अफ्रीका में लोकल रेडियो, युरोप में इसे फ़्री या रेडियो कहा जाता है। इनके माडल भिन्न होते हुये भी इन्के सरोकार एक ही है, कम्युनिटी की आवाज को बढाना और जनतंत्र कम्युनिटी का कम्युनिटी स्तर पर विस्तार करना। युनेस्को ने कम्युनिटी रेडियो कि पहुँच को व्यापक बनाने के लिये बंगलादेश, मालद्वीप में कई कार्यक्रम आयोजित किये हैं और भारत में भी वह काफी बडे स्तर पर इस दिशा में काम करने की योजना है।
अभी दो साल में ही कम्युनिटी रेडियो ने आशातीत सफलता पा ली है। भारत सरकार का आने वाले सालों में देश भर में ४००० कम्युनिटी रेडियो स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य है। आशा करते हैं कम्युनिटी रेडियो आने वाले समय में समाज सेवा का प्रबल हथियार बन कर उभरेगा और इसके प्रयोग से समाज के निचले तबके का विकास होगा और इस तरह समाज में एक विकास की क्रांति आयेगी