हिंदी साहित्य में जिस तरह सुमित्रा नंदन पंत अपनी कविता में पराकार्तिक छटा बिखेरते है उसी तरह का रंग यह चीनी कविता अपने में समाहित किये हुये है। विश्व कविता का एक मोती है चीनी कविता।
छन चिंग-रुंग
मई के महीने
कया कहती है चिडिया पहाडों मे
फसले और पौधे
फसले ओर पौधे
कोयल कुकती है ध्यान से
किसानों को समझाती न गँवाऔ वक्त
मई के महीने
कया कहती है चिडिया पहाडों मे
फसले और पौधे
फसले ओर पौधे
कोयल कुकती है ध्यान से
किसानों को समझाती न गँवाऔ वक्त
चारों तरफ है हरा भरा धान
कयों कूके जा रही कोयल
तपती है धूप
तपती और तपती
सफेद बादलों और नीले आसमां तले फाखता
नहीं ले पाता, चैन धरती लाल, हरी घास और
पेड
धुपैले आसमां को ताकते
चिंताओं से घिरा आसमां
गहरी शत में
कोयल और फाखता
और कुछ कुछ चिडियाँ कूकती एकाध बार
बुलाती चँद सितारों को
और फिर एक पूरा चाँद ।
कयों कूके जा रही कोयल
तपती है धूप
तपती और तपती
सफेद बादलों और नीले आसमां तले फाखता
नहीं ले पाता, चैन धरती लाल, हरी घास और
पेड
धुपैले आसमां को ताकते
चिंताओं से घिरा आसमां
गहरी शत में
कोयल और फाखता
और कुछ कुछ चिडियाँ कूकती एकाध बार
बुलाती चँद सितारों को
और फिर एक पूरा चाँद ।
5 टिप्पणियां:
कुछ और बेहतर अनुवाद संभव है।
बढिया कविता है,
आभार
चीनी रचना हिंदी में बढ़िया लगी ...
अद्भुत!
bahut badhi shubhkaamnaayey
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