शनिवार, 18 दिसंबर 2010

कीर्ति चौधरी की कविता "प्रेम"


१ जनवरी १९३४ को उत्तर प्रदेश में जन्मी कीर्ति चौधरी को अज्ञेय द्वारा संकलित “तीसरा सप्तक” में सात कवियों में शामिल किया गया था, जिसमें कीर्ति चौधरी एकमात्र कवयित्री थी। उनकी कविताऐं प्रभावित करती हैं, प्रस्तुत है उनकी यह कविता "प्रेम" शीर्षक से।

प्रेम

तुमने हाथ पकड़कर कहा

तुम्हीं हो मेरे मित्र

तुम्हारे बग़ैर अधूरा हूँ मैं

क्या वह तुम्हारा प्रेम था ?


मैंने हाथ छुड़ाकर

मुँह फेर लिया

मेरी आँखों में आँसू थे

यह भी तो प्रेम था।


1 टिप्पणी:

नवनीत पाण्डे ने कहा…

तुमने हाथ पकड़कर कहा

तुम्हीं हो मेरे मित्र

तुम्हारे बग़ैर अधूरा हूँ मैं

क्या वह तुम्हारा प्रेम था ?


मैंने हाथ छुड़ाकर

मुँह फेर लिया

मेरी आँखों में आँसू थे

यह भी तो प्रेम था।

एक लंबे अंतराल के बाद कीर्ति जी को पढना अच्छा लगा