जिसकी जरूरत हम सबको है
प्रेम
तुमने हाथ पकड़कर कहा
तुम्हीं हो मेरे मित्र
तुम्हारे बग़ैर अधूरा हूँ मैं
क्या वह तुम्हारा प्रेम था ?
मैंने हाथ छुड़ाकर
मुँह फेर लिया
मेरी आँखों में आँसू थे
यह भी तो प्रेम था।
तुमने हाथ पकड़कर कहातुम्हीं हो मेरे मित्रतुम्हारे बग़ैर अधूरा हूँ मैंक्या वह तुम्हारा प्रेम था ?मैंने हाथ छुड़ाकरमुँह फेर लियामेरी आँखों में आँसू थेयह भी तो प्रेम था।एक लंबे अंतराल के बाद कीर्ति जी को पढना अच्छा लगा
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तुमने हाथ पकड़कर कहा
तुम्हीं हो मेरे मित्र
तुम्हारे बग़ैर अधूरा हूँ मैं
क्या वह तुम्हारा प्रेम था ?
मैंने हाथ छुड़ाकर
मुँह फेर लिया
मेरी आँखों में आँसू थे
यह भी तो प्रेम था।
एक लंबे अंतराल के बाद कीर्ति जी को पढना अच्छा लगा
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