बहुत पहले से ही कुछ चीजों का होना तय होता है। हर चीजों को घटना एक निश्चित पक्रिया है, हम रोक नहीं पाते उसे तो कोई अपनी किस्मत को कोसता है तो कोई मातम मनाने लगता है। हमारे पास तब केवल एक ही रास्ता है जिंदगी को उसी तरह बहने दो जिस तरह वह बह रही है। उसमें कोई अडचन न आने पाये। हमें केवल काम करने का ही हक है, फल की इच्छा हमें नहीं करनी चाहिये। बहुत पहले से
पक्षियों ने उडान भरनी नहीं सिखी थी
मनुष्यों की पलकें आज सी
भारी नहीं थी।
शोर अपने पाँवों तले
कुचलने की ताकत नहीं रखता था
तब से ही शायद या
उससे भी पहले
ठीक-ठाक नहीं मालूम
इतिहास का लम्बा सूत्र थामें
और वर्तमान की राह पर खडी यह सब कह रही हूँ
तय था
जब से ही
पत्तों का झरना,
प्रेम का यूँ बरबाद होना,
हसरतों का यूँ जमा होना।
बहुत पहले से
पक्षियों ने उडान भरनी नहीं सिखी थी
मनुष्यों की पलकें आज सी
भारी नहीं थी।
शोर अपने पाँवों तले
कुचलने की ताकत नहीं रखता था
तब से ही शायद या
उससे भी पहले
ठीक-ठाक नहीं मालूम
इतिहास का लम्बा सूत्र थामें
और वर्तमान की राह पर खडी यह सब कह रही हूँ
तय था
जब से ही
पत्तों का झरना,
प्रेम का यूँ बरबाद होना,
हसरतों का यूँ जमा होना।
पक्षियों ने उडान भरनी नहीं सिखी थी
मनुष्यों की पलकें आज सी
भारी नहीं थी।
शोर अपने पाँवों तले
कुचलने की ताकत नहीं रखता था
तब से ही शायद या
उससे भी पहले
ठीक-ठाक नहीं मालूम
इतिहास का लम्बा सूत्र थामें
और वर्तमान की राह पर खडी यह सब कह रही हूँ
तय था
जब से ही
पत्तों का झरना,
प्रेम का यूँ बरबाद होना,
हसरतों का यूँ जमा होना।
बहुत पहले से
पक्षियों ने उडान भरनी नहीं सिखी थी
मनुष्यों की पलकें आज सी
भारी नहीं थी।
शोर अपने पाँवों तले
कुचलने की ताकत नहीं रखता था
तब से ही शायद या
उससे भी पहले
ठीक-ठाक नहीं मालूम
इतिहास का लम्बा सूत्र थामें
और वर्तमान की राह पर खडी यह सब कह रही हूँ
तय था
जब से ही
पत्तों का झरना,
प्रेम का यूँ बरबाद होना,
हसरतों का यूँ जमा होना।
3 टिप्पणियां:
वाह! बहुत सुन्दर!
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
आप की वैज्ञानिक सोच ने प्रभावित किया। आप इस सोच पर आधारित गद्य भी लिखिये।
आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें, संग्राम एक
जन-जन की आजादी लाएँ।
वाह क्या खूब...बढि़या, जिंदगी को बहने दो।
एक टिप्पणी भेजें