एक सपना दूसरे
सपनें से टकराता है
तो चमक पैदा करता है
एक रिश्ता दूसरें के निकट आता है
फिर नाकाम हो लौटता हैं
एक मुस्कुराहट
जो कहीं गुम हो टूटता तारा बन जाती है
एक उम्मीद जो आखिर में
खुद को
राख के ढेर में पाती है
जिंदगीं कहीं इन्हीं
अदभुत रिश्तों का नाम ही तो नहीं।
8 टिप्पणियां:
जिंदगीं कहीं इन्हीं
अदभुत रिश्तों का नाम ही तो नहीं। बहुत sunder रचना लिखी है आपने .....बधाई
अद्भुत भावाव्यक्ति ........... अति सुंदर।
विपिन भाई अच्छा लिख रहे हैं. गहन और सुस्वादु.
zindagi ko bahut achchi tarah paribhashit kiya hai aapne.
bahut sundar
nice thoughts abt life....
perfect
nissandeh yeh sachai ki abhivyakti hai...
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