जानवरों की जमात में सबसे
शरारती प्राणी को नचाना जानते हो तुम
कितना हुनर है तुम्हारे हाथों में सलामत भाई
तुम्हारे कहने पर बंदर टोपी पहन लेता है
आँखे छपकाता है
कलाबातियाँ खाता है
झट से आकर तुम्हारी गोद में बैठ जाता है
एक जानवर से तुमहारा रिश्ता
अजीब सी ठंडक देता है
शरारती प्राणी को नचाना जानते हो तुम
कितना हुनर है तुम्हारे हाथों में सलामत भाई
तुम्हारे कहने पर बंदर टोपी पहन लेता है
आँखे छपकाता है
कलाबातियाँ खाता है
झट से आकर तुम्हारी गोद में बैठ जाता है
एक जानवर से तुमहारा रिश्ता
अजीब सी ठंडक देता है
जरा हमारी ओर देखो
ओर तुम ओर तुम्हारा बंदर दोनों
तरस खाओ
हमारे अगल बगल जितने लोग खङे हैं
उनमें से किसी से भी
हमारा मन नही जुङता
इस गर्म देश के
बेहद ठंडे इंसान हैं हम
सलामत भाई
तुम जानते नहीं
हमारे पास
शोक मनाने तक का
वक्त भी नही है
तुम अपनी गढी हुई दुनिया से
नंगे पाँव चलकर
आते हो और तमाशा
समेट कर वापिस लौट जाते हो
हमें पहले से बनी हुई
रेडिमेड दुनिया में ही जीना मरना है
हमारी ईष्या लगातार
बढती ही जा रही है
तुम्हारे कलंदर का करतब देखते
हँसते-हँसते
हम कब तुम पर गुस्सा
हो जाएँगे और कहेंगे
नाहक ही वक्त बर्बाद किया
यह भी कोई खेल है
इस मदारी को तो हमें
बेवकुफ बना कर पैसे एंठने हैं
3 टिप्पणियां:
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
----
INDIAN DEITIES
एक सुन्दर भाव की रचना। सचमुच हमारी दनिया तो रेडीमेड ही होती है।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत खूब.
एक टिप्पणी भेजें