शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

सलामत भाई


जानवरों की जमात में सबसे
शरारती प्राणी को नचाना जानते हो तुम
कितना हुनर है तुम्हारे हाथों में सलामत भाई

तुम्हारे कहने पर बंदर टोपी पहन लेता है
आँखे छपकाता है
कलाबातियाँ खाता है
झट से आकर तुम्हारी गोद में बैठ जाता है
एक जानवर से तुमहारा रिश्ता
अजीब सी ठंडक देता है


जरा हमारी ओर देखो
ओर तुम ओर तुम्हारा बंदर दोनों
तरस खाओ
हमारे अगल बगल जितने लोग खङे हैं
उनमें से किसी से भी
हमारा मन नही जुङता
इस गर्म देश के
बेहद ठंडे इंसान हैं हम
सलामत भाई


तुम जानते नहीं
हमारे पास
शोक मनाने तक का
वक्त भी नही है
तुम अपनी गढी हुई दुनिया से
नंगे पाँव चलकर
आते हो और तमाशा
समेट कर वापिस लौट जाते हो
हमें पहले से बनी हुई
रेडिमेड दुनिया में ही जीना मरना है

हमारी ईष्या लगातार
बढती ही जा रही है
तुम्हारे कलंदर का करतब देखते
हँसते-हँसते
हम कब तुम पर गुस्सा
हो जाएँगे और कहेंगे
नाहक ही वक्त बर्बाद किया
यह भी कोई खेल है
इस मदारी को तो हमें
बेवकुफ बना कर पैसे एंठने हैं

3 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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INDIAN DEITIES

श्यामल सुमन ने कहा…

एक सुन्दर भाव की रचना। सचमुच हमारी दनिया तो रेडीमेड ही होती है।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

अमिताभ मीत ने कहा…

बहुत खूब.