शुरुआत या अंत
एक ऊंची उठती आज़ान के आस-पास
ही उगे थे कुछ अहसास
कुछ जन्म ले रहा था कहीं
यह शुरुआत थी या किसी चीज का अंत
वह सपनें की तरह आया ओर
हकीकत की तरह लौट गया
उसके आने से उस दिन का
इतिहास कुछ बदल सकता था
दूसरा अच्छा या बुरा पन्ना
मेरी जिंदगी में जुड सकता था
पर वक्त शायद इस दोस्ती
को कुछ देर ओर टिकाये
रखना चाहता था।
7 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा!!
बहुत दिनों बाद दिखी? सब ठीक ठाक तो है. शुभकामनाएँ.
विपिन जी ...बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना...अच्छी लगी...धन्यवाद
वो सपने कि तरह आया और हकीकत कि तरह लौट गया
बहुत अच्छा लगा ये भाव विपिन जी
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!! श्री हरि : !!
बापूजी की कृपा आप पर सदा बनी रहे
Email:virender.zte@gmail.com
Blog:saralkumar.blogspot.com
बहुत सुंदर व भावपूर्ण रचना.... दिल को छू गई....
काफी पसंद आयी ये रचना विपिन जी..
सुंदर कविता है।
बहुत ही बढ़िया कविता है विपिन .... आपकी रचनाधर्मिता से मैं प्रभावित हुआ हूं। शब्दों और भावों का उचित सामांजस्य करने आपको आता है। .... नित यह ब्लॉग देखने की इच्छा रखता हूं।
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