शनिवार, 5 जून 2010


शुरुआत या अंत

एक ऊंची उठती आज़ान के आस-पास
ही उगे थे कुछ अहसास
कुछ जन्म ले रहा था कहीं
यह शुरुआत थी या किसी चीज का अंत

वह सपनें की तरह आया ओर
हकीकत की तरह लौट गया

उसके आने से उस दिन का
इतिहास कुछ बदल सकता था
दूसरा अच्छा या बुरा पन्ना
मेरी जिंदगी में जुड सकता था

पर वक्त शायद इस दोस्ती
को कुछ देर ओर टिकाये
रखना चाहता था।

7 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा!!

बहुत दिनों बाद दिखी? सब ठीक ठाक तो है. शुभकामनाएँ.

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

विपिन जी ...बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना...अच्छी लगी...धन्यवाद

वीरेंद्र रावल ने कहा…

वो सपने कि तरह आया और हकीकत कि तरह लौट गया

बहुत अच्छा लगा ये भाव विपिन जी
--
!! श्री हरि : !!
बापूजी की कृपा आप पर सदा बनी रहे

Email:virender.zte@gmail.com
Blog:saralkumar.blogspot.com

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत सुंदर व भावपूर्ण रचना.... दिल को छू गई....

दीपक 'मशाल' ने कहा…

काफी पसंद आयी ये रचना विपिन जी..

rkpaliwal.blogspot.com ने कहा…

सुंदर कविता है।

sarvesh upadhyay ने कहा…

बहुत ही बढ़िया कविता है विपिन .... आपकी रचनाधर्मिता से मैं प्रभावित हुआ हूं। शब्दों और भावों का उचित सामांजस्य करने आपको आता है। .... नित यह ब्लॉग देखने की इच्छा रखता हूं।